अवश्य आप यही सोच रहे होंगे कि किसी राजा महाराजा, विदेशी सत्ता, तानाशाही से, या फिर अपने पडोसी देशों जैसे मिलिटरी या कम्युनिस्ट राज्य से तो हम अच्छे ही है और उनकी तुलना मे हम आज़ाद भी हैं। परंतु यदि व्यक्तिगत स्तर पे, या जिसे हम इंग्लीश मे कहें कि "individual level" पे - परिवार, देश, समाज सबसे परे हट कर, केवल और केवल एक अकेले व्यक्ति के सन्दर्भ मे देखा जाए - तो इस राष्ट्रीय स्तर की आज़ादी की परिभाषा क्या मायने रखती है?
हम स्वतंत्र, स्वराज, स्वदेश की बातें करते हैं पर हम आज़ादी के मूलतम रूप को, व्यक्तिगत स्वाधीनता, व्यक्तिगत स्वत्व, individual liberty के बारे मे क्यों नही सोचते? क्या हम अपने आप को इतना महत्व भी नही देते की हम अपनी खुद कीआज़ादी के बारे मे सोचें? इस सरल और साधारण विषय को समझना कठिन नही पर अक्सर ही हम विचारों को सरल रूप मे ना देख कर क्लिष्ठ उत्तरों की खोज मे लग जाते हैं और किसी छोटी सी बात को पेचीदा बना लेते हैं।व्यक्तिगत स्वतंत्रता भी ऐसा ही एक विषय है। हम अपनी व्यक्तिगत स्वतंत्रता को त्याग कर समाज देश दुनिया की समस्यों मे लीन हो जाते हैं। हम सोचते हैं की अगर हमारा देश स्वतंत्र हो, अगर हमारे समाज मे बुराइयाँ ना हों, अगर हम सब मिलकर एक उत्तम समाज का निर्माण करें तो हम सुखी रहेंगे। लेकिन अगर हम इसका ठीक विपरीत करें - हम समाज और देश को कुछ देर त्याग कर अपनी स्वतंत्रता और अपने सुख समृधि के बारे मे सोचें, और अगर हम ऐसी स्वतंत्रता को प्राप्त कर लें तो बाकी की समस्याएँ स्वयं ही छोटी और सरल हो जाती हैं।
यह लेख और आने वाले कुछ और लेख individual liberty, व्यक्तिगत स्वतंत्रता के बारे में मेरी समझ व्यक्त करने का तुच्छ प्रयास है। आशा है इसे पढ़ कर आप, और इसे लिख कर मै इस विषय के बारे में चिंतन मनन करेंगे, और ये भी देखेंगे की किस प्रकार हम अपने शासन अनुशासन में इस सहज विचार को ध्यान में रख कर अपूर्व सुधर ला सकते हैं।